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डेहरी ऑन सोन पर बन्दे भारत ट्रेन | भारत की 5वीं सबसे लम्बी रेल ब्रिज | Live Video

डेहरी ऑन सोन पुल (उपर सोन पुल) पर एक विस्तृत लेख

परिचय: डेहरी ऑन पुल, जिसे अपर सोन पुल के नाम से भी जाना जाता है, बिहार के रोहतास जिले में स्थित है। यह पुल सोन नदी पर बना हुआ है और इसे बिहार के सबसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक पुलों में से एक माना जाता है। इस पुल का निर्माण भारतीय रेल द्वारा किया गया था और यह बिहार और उत्तर प्रदेश के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है।



निर्माण और इतिहास: उपर सोन पुल का निर्माण 1900 के दशक की शुरुआत में हुआ था। इस पुल का निर्माण ब्रिटिश शासनकाल के दौरान किया गया था, और इसका उद्घाटन 27 फरवरी 1900 को किया गया था। यह पुल सोन नदी पर बने पहले लोहे के पुलों में से एक था। उस समय, यह एशिया का सबसे लंबा रेलवे पुल था और इसे बनाने में कई वर्षों का समय लगा था।

पुल के निर्माण के लिए उस समय लगभग 26 लाख रुपये खर्च हुए थे, जो उस समय के हिसाब से एक बड़ी रकम थी। इस पुल के निर्माण में 93 पिलरों का उपयोग किया गया था, जो इसे मजबूत और टिकाऊ बनाते हैं। पुल की कुल लंबाई लगभग 3,064 फीट (933 मीटर) है।

तकनीकी विवरण: इस पुल की विशेषता यह है कि यह दो मंजिला (डबल डेकर) पुल है। इसके ऊपरी भाग पर रेलगाड़ियां चलती हैं जबकि निचले भाग पर सड़क मार्ग है। इस पुल का निर्माण लोहे और स्टील के मजबूत खंभों पर किया गया है, जो इसे सदी से भी अधिक समय तक स्थायी बनाए हुए हैं। पुल का निर्माण करते समय ब्रिटिश इंजीनियरों ने इसे इस प्रकार से डिजाइन किया था कि यह भूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर सके।

महत्व: उपर सोन पुल का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। यह पुल न केवल बिहार और उत्तर प्रदेश को जोड़ता है, बल्कि यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है। स्वतंत्रता संग्राम के समय इस पुल का उपयोग स्वतंत्रता सेनानियों ने विभिन्न क्षेत्रों में जाने के लिए किया था।

डेहरी ऑन सोन


इस पुल का उपयोग न केवल रेलवे के लिए किया जाता है, बल्कि यह सड़क परिवहन का भी एक प्रमुख माध्यम है। इस पुल से होकर कई महत्वपूर्ण राजमार्ग गुजरते हैं जो बिहार को उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों से जोड़ते हैं।

रोचक तथ्य:

  1. डेहरी ऑन सोन पुल का निर्माण ब्रिटिश शासनकाल के दौरान हुआ था और उस समय इसे एशिया का सबसे लंबा पुल माना जाता था।
  2. इस पुल की लंबाई 933 मीटर (3,064 फीट) है और इसमें कुल 93 पिलर हैं।
  3. यह पुल दो मंजिला है, जहां ऊपरी मंजिल पर रेलगाड़ियां और निचली मंजिल पर सड़क यातायात होता है।
  4. पुल का निर्माण उस समय 26 लाख रुपये में हुआ था, जो उस समय के हिसाब से एक बड़ी रकम थी।
  5. पुल का डिजाइन ऐसा है कि यह भूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर सकता है।

निष्कर्ष: डेहरी ऑन सोन पुल, जिसे उपर सोन पुल के नाम से भी जाना जाता है, न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत के लिए एक ऐतिहासिक धरोहर है। इस पुल ने न केवल बिहार और उत्तर प्रदेश को एक दूसरे से जोड़ा है, बल्कि यह भारतीय रेल और सड़क परिवहन के लिए भी एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुआ है। समय के साथ, यह पुल अपनी मजबूती और अद्वितीय डिजाइन के कारण सदी से अधिक समय तक स्थायी बना हुआ है और आने वाले वर्षों में भी यह पुल अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखेगा।