संजय को सुबह से ही बेचैनी हो रही थी क्योंकि आज उसे अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने जाना था। वह जितनी जल्दी हो सके मिलना चाहता था, लेकिन इंतजार की घड़ियां इतनी लंबी हो सकती हैं, यह आज उसे महसूस हो रहा था। हर पल मानो एक युग के समान बीत रहा था।
समय बिताने के लिए उसने अखबार उठाया, लेकिन उसका ध्यान पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था। उसका मन केवल उन पलों में अटका हुआ था, जो उसने रिया के साथ बिताए थे। पूरा दिन उसे ऐसा लग रहा था मानो एक-एक पल सदियों जैसा लंबा हो गया हो।
हाँ, तो वह दिन परीक्षा का दिन था जब संजय और रिया पहली बार किसी प्रतियोगी परीक्षा में मिले थे। संजय एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखता था, इसलिए वह अपने भाई के पास रुककर परीक्षा देने आया था। परीक्षा तीन दिनों तक चलनी थी। संयोग से रिया और संजय पास-पास की सीटों पर बैठे थे।
पहले दिन, परीक्षा की शुरुआत में, रिया ने संजय से कुछ पूछा, और संजय ने मदद करते हुए उसे सही जवाब बताया। छुट्टी के समय दोनों आपस में मिले और थोड़ी बातचीत की। बातचीत के दौरान उन्होंने यह तय किया कि लड़कियों के लिए चीटिंग करना थोड़ा आसान होता है, इसलिए संजय ने परीक्षा में सवालों के जवाब का अनुमान लगाकर रिया की मदद करने का सोचा।